Monday 6 May 2024

मंहगी दवाओं का उच्चतम न्यायालय संज्ञान ले


बाबा रामदेव की पतंजलि के विरूद्ध धूम-धड़ाके के साथ भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसने की कार्यवाही करने के साथ ही उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश द्वय हिमा कोहली तथा अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने याचिकाकर्ता द्वारा किए जाने वाले अनैतिक कृत्यों पर भी पूरा संज्ञान लेते हुए, IMA से यह पूछ लिया कि उसके सदस्य डाक्टर जो मरीजों को मंहगी और अनावश्यक दवायें अपने prescription में लिखते हैं, उसके लिए उनकी संस्था क्या कर रही है। माननीय न्यायालय की इस टिप्पणी से IMA अध्यक्ष आर वी अशोक तिलमिला गए और वह बाबा रामदेव से भी बड़ी ग़लती कर बैठे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि माननीय न्यायालय बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की तरह आर वी अशोक की भी नाक रगड़वाता है या नहीं, वैसे उच्चतम न्यायालय ने IMA अध्यक्ष के बारे में पूरी तैयारी कर इशारा दे दिया है।






सिर्फ IMA सच्चा

जब बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत के संज्ञान में यह बात लाई कि इधर अभी मामला लंबित है, उधर याचिकाकर्ता समाचार पत्रों में साक्षात्कार देकर माननीय उच्चतम न्यायालय की आलोचना कर रहा है। अपने साक्षात्कार में IMA अध्यक्ष ने कहा है - "न्यायालय हमारी तरफ उंगली क्यों उठा रहा है, उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण और अनावश्यक हैं।" इस पर माननीय न्यायालय ने कहा - "आप पूरे साक्षात्कार को अदालत के रिकॉर्ड पर लाइये, अब तक जो हुआ है, यह उससे भी अधिक गंभीर है। अतः गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहिए।" मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह IMA अध्यक्ष के विरुद्ध अवमानना की अर्जी दाखिल करेंगे।


मंहगी दवाओं का कारण 

मंहगी दवाओं और ईलाज के संबंध में उच्चतम न्यायालय का स्वत: संज्ञान लेना स्वागत योग्य कदम है। इसके लिए माननीय न्यायालय ने केन्द्रीय और सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को नोटिस जारी कर उनसे जानकारी मांगी है कि उन्होंने अब तक इस बारे में कौन से कदम उठाए हैं। माननीय अदालत इस तथ्य पर ध्यान दें कि "डब्बा बंद वस्तु अधिनियम" के प्रावधानों में सभी पैक की गई वस्तुओं पर MRP लिखने का प्रावधान तो है, परंतु यह MRP लिखने के संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं हैं। जिसके कारण निर्माता के मन में जो भी आता है, वह उतनी MRP लिख देता है। यही वजह है बाजार में दवायें MRP पर 20 से 40% तक छूट पर बेची जाती हैं। अतः यह आवश्यक है कि उच्चतम न्यायालय केंद्र और राज्य सरकारों को MRP लिखने के लिए नियम बनाने का निर्देश दे, ताकि वस्तुओं पर युक्ति संगत MRP लिखी जाये तथा मरीज मंहगी दवाओं और ईलाज से मुक्ति पा सकें। उदाहरण के रूप मे वस्तुओं पर MRP लिखने के लिए मूल्य सूत्र इस प्रकार बनाया जा सकता है, जिसका मुख्य आधार निम्न हो -

दवा का उत्पादन मूल्य + दवा की बिक्री पर आने वाला खर्च + उचित लाभ = MRP




भ्रामक विज्ञापनों का सरताज IMA

वैसे गौरतलब बात यह है कि जिस प्रकार के भ्रामक विज्ञापनों के लिए IMA पतंजलि और बाबा रामदेव को उच्चतम न्यायालय में खींच कर ले गया। उस प्रकार के भ्रामक विज्ञापनों के जरिए ग्राहकों को को लूटने के अभियान चलाने के लिए IMA का इतिहास भरा पड़ा है। लाखों करोड़ों रुपए लेकर विभिन्न उत्पादों का बिना कोई परीक्षण किए, अपने लोगो(Logo) और संदेश के साथ ग्राहकों को खरीदने के लिए कहना, क्या भ्रामक विज्ञापनों की श्रेणी में नहीं आता है। माननीय उच्चतम न्यायालय इसका संज्ञान ले। IMA पेप्सिको के ट्रापिकाना जूस, नाश्ते के लिए क्यूआकेर ओट्स, क्राम्पटन ग्रीव्स के LED बल्ब, एशियन पेंट्स के बनाये पेंट, डिटाल साबुन, केन्ट के बनाये वाटर प्यूरीफायर पर मोटी मोटी रकम वसूल कर, अपना लोगो व समर्थन लिखकर ग्राहकों को पूरी तरह भ्रमित कर रही है। यह बात सिर्फ हम नहीं कह रहे, 28 मई 2015 को टाईम्स ऑफ इंडिया में छपे एक समाचार के अनुसार, इन सभी भ्रामक विज्ञापनों के विरोध में IMA के सदस्यों ने ही आवाज उठाई थी। उन्होंने यह भी माना था कि विज्ञापित इन वस्तुओं की गुणवत्ता तथा दावा किये गये लाभदायक परिणामों की सत्यता का परीक्षण करने के लिए I MA के पास कोई प्रयोगशाला या परीक्षण सुविधा नहीं है। IMA काम के लिए दाम लेकर इन सभी विज्ञापनों में दी गई वस्तुओं की भ्रामक पुष्टि कर रहा है।