GST अर्थात गुड्स व सर्विस टैक्स आजकल सुर्खियों मे है । संसद इसे पारित कर दे, यह लागू हो जाये तो देश को अलादीन का चिराग मिल जाये। तिलमिलायी कांग्रेस इस अलादीन के चिराग को सरकार के हाथ से दूर रखना चाहती है। इसलिये जब तब बनती दिखती बात अन्त मे बिगड ही जाती है।
GST मे अनेको हिस्सेदार हैं केन्द्र सरकार, राज्य सरकारें, उद्योग, वर्तमान मे टैक्स वसूलने वाले विभिन्न विभाग और जिससे GST मे ली जाने वाली रकम की एक एक पाई वसूली जानी है वह ग्राहक। सभी हिस्सेदारों ने अपना अपना नफा नुकसान अच्छी तरह देख समझ लिया है। यही नहीं अपने हित साधने वाली बातें मनवा भी ली हैं। सिर्फ ग्राहक को छोडकर, उसे नहीं मालूम क्या होने वाला है, कैसे उसके दिन बहुरेंगे। बस उसे तो सब बेगानी शादी का दीवाना अ्ब्दुल्ला बनाने पर तुले हैं।
ग्राहक आन्दोलन का कार्यकर्ता होने के कारण यह बात तो समझ आती है कि GST लागू होते ही अनेको वस्तुओं सेवाओं पर लगने वाले टैक्स की रकम जो अभी 8 से 12% है 18% हो जायेगी, परन्तु इसके लागू होने से ग्राहक को मिलने वाला कोई एक लाभ भी मुझे दूर दूर तक नजर नहीं आता। देश के 125 करोड ग्राहक फिर भी GST का स्वागत करने को तैयार हैं। बशर्ते सरकार घोषणा करे कि वह उत्पादनों और सेवाओं की उन कीमतों को सार्वजनिक करेगी जिन पर GST वसूला जायेगा।
GST मे अनेको हिस्सेदार हैं केन्द्र सरकार, राज्य सरकारें, उद्योग, वर्तमान मे टैक्स वसूलने वाले विभिन्न विभाग और जिससे GST मे ली जाने वाली रकम की एक एक पाई वसूली जानी है वह ग्राहक। सभी हिस्सेदारों ने अपना अपना नफा नुकसान अच्छी तरह देख समझ लिया है। यही नहीं अपने हित साधने वाली बातें मनवा भी ली हैं। सिर्फ ग्राहक को छोडकर, उसे नहीं मालूम क्या होने वाला है, कैसे उसके दिन बहुरेंगे। बस उसे तो सब बेगानी शादी का दीवाना अ्ब्दुल्ला बनाने पर तुले हैं।
ग्राहक आन्दोलन का कार्यकर्ता होने के कारण यह बात तो समझ आती है कि GST लागू होते ही अनेको वस्तुओं सेवाओं पर लगने वाले टैक्स की रकम जो अभी 8 से 12% है 18% हो जायेगी, परन्तु इसके लागू होने से ग्राहक को मिलने वाला कोई एक लाभ भी मुझे दूर दूर तक नजर नहीं आता। देश के 125 करोड ग्राहक फिर भी GST का स्वागत करने को तैयार हैं। बशर्ते सरकार घोषणा करे कि वह उत्पादनों और सेवाओं की उन कीमतों को सार्वजनिक करेगी जिन पर GST वसूला जायेगा।