अॉन लाईन शापिंग कम्पनियों की आजकल बाढ आई हुई है। घर पर बैठकर फुर्सत से खरीदारी वह भी दुनिया भर के ब्रान्डों की, बाजार से सस्ते दामों पर, घर पँहुच सेवा और न जाने क्या क्या। आज के समय मे यदि आप अॉनलाईन शॉपिंग से परिचित नहीं, अॉनलाईन शॉपिंग नहीं करते तो आप पिछडते जा रहे हैं। इस आधुनिक मार्केटिंग तकनीक का लाभ उठाने से वंचित हैं।
समय परिवर्तनशील है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे नये नये प्रयोग हो रहे हैं। एल्विन टॉफलर की 3rd वेव थ्योरी रंग ला रही है। अब तक के निर्धारित नियम व व्यवस्थायें ध्वस्त हो रही हैं, उनके स्थान पर नवीन व्यवस्थायें जन्म ले रही हैं। नये सिद्धान्त बन रहे हैं। जिनके चिन्ह हमे अपने आसपास प्रचुरता मे दिखाई देते हैं। हम किसी भी नयी व्यवस्था को अपनाने से सिर्फ इसलिये मना नहीं कर सकते, क्योंकि अबसे पहले की व्यवस्था अलग तरह की थी। समाज, उत्पादन तथा बाजार मे जो paradigm shift हो रहा है, हमे उससे ताल जरूर मिलानी है। यह दीगर बात है कि हम उस नवीन व्यवस्था का कितना और कैसे उपयोग करते हैं। अतः ऑनलाईन मार्केटिंग का जड़ से विरोध करना बेमानी है।
बाजार मेे ग्राहक को उत्पादन मंहगे मिलने के सम्बन्ध मे अधिकतर अर्थशास्त्रियों का अभिमत बाजार मे बडी संख्या मे बिचौलियों का होना बताया जाता था। कहा जाता था इसीकारण बाजार मे उत्पादन अपनी उत्पादन लागत से बहुत अधिक दामों पर बिकता था।अॉन लाईन कम्पनियों ने एक बात तो स्पष्ट कर दी कि इसने व्यापारी या बिचौलियों को जो ग्राहकों को 9 रु की वस्तु 90रु मे बेचकर बेहिसाब लूट रहे थे, किनारे बैठाकर, ग्राहकों को अतिरिक्त लाभ का हिस्सेदार बना दिया। बाजार मे सम्पत्तियां अत्यधिक मंहगी होने का लाभ भी ऑनलाईन कम्पनियों को मिला। जब तक यह लाभ ग्राहक को मिलता है, इसे लेेने मे कोई हर्ज नहीं। वैसे ऑनलाईन कम्पनियों मे भी यह विचार तेजी से पनप रहा है कि जो दिखता है वह बिकता है। इसलिये ऑनलाईन कम्पनियां बडे बडे शहरों मे अपने शो रूम खोलने परभी विचार करने लगी हैं। उनका यह भी मानना है कि इस प्रकार वह अपने ग्राहकों को और बेहतर सेवायें दे सकेंगी।
अॉन लाईन कम्पनियों ने उत्पादन मूल्य और विक्रय मूल्य के विशालकाय अन्तर को देश के सामने स्पष्ट कर दिया है। वस्तुओं की कीमतों मे बाजार और अॉन लाईन कम्पनियों मे विशालकाय अन्तर इसीलिये दिखाई देता है, क्योंकि उत्पादक उत्पादन लागत से बहुत अधिक कीमत एम आर पी मे लिखते हैं। टैक्स चोरी जैसी बातें अॉन लाईन व्यवसाय मे तथ्यहीन हैं। इतनी जगह लिखापढी होती है कि टैक्स वसूलने वाले विभागों की ये आसान पकड मे हैं। ग्राहक कानून भी इन कम्पनियों पर पूरी तरह लागू है। ग्राहक उपभोक्ता फोरम मे जा सकता है।
परन्तु प्रत्येक चमकने वाली वस्तु जिस तरह सोना नहीं होती, उसी तरह थोडी सी असावधानी ग्राहक के लिये समस्या भी खडी कर सकती है। अत: ग्राहकों को इन कम्पनियों से खरीदारी करते समय अलग तरह की सावधानियां अपनाने व सतर्क रहने की आवश्यकता है।
१. बाजार की खरीदारी की तरह इसमे भी समय लगायें। सिर्फ उत्पादन की फोटो देखकर वस्तु न खरीदें।
२. कई बार देखा गया है कि वस्तु का चित्र ब्रान्डेड कम्पनी का होता हैै, परन्तु विवरण दूसरा लिखा होता है। अत: पूरा विवरण पढने के बाद, चित्र से उसे मिलाकर सुनिश्चित होनेो के बाद ही आर्डर दें।
३. वस्तु के साथ दी जानकारी को पूरा पढें, समझें। यदि फिर भी वस्तु के विषय मे कोई शंका है तो आर्डर देने से पूर्व कम्पनी से लिखकर पूछ लें।
४. किसी ब्रान्ड की वस्तु और उसके जैसी वस्तु मे बहुत अन्तर होता है। अत: like, type या as जैसे शब्दों के चक्र मे न उलझें।
५. वस्तु के मूल्य को आर्डर देने से पूर्व स्थानीय बाजार मे सुनिश्चित कर लें। अनेको बार वस्तु उसी दाम पर या सस्ती स्थानीय बाजार मे मिल जाती है।
६. जहां तक सम्भव हो payment on delivery option का उपयोग करें।
७. वस्तु सन्तोषप्रद न होने पर शिकायत तुरन्त करें।
८. आप जिस कम्पनी को आर्डर कर रहे हैं, उसके बारे मे अच्छी तरह समझ लें। आजकल बहुत सी नकली कम्पनियां भी धोखाधडी करने के लिये सक्रिय हैं।
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