Saturday, 30 April 2016

'कोलस्ट्राल' सदी का सबसे बड़ा घोटाला ?

अमेरिका का कृषि विभाग प्रत्येक 5 वर्षो मे खाद्य पदार्थों के सम्बंध मे दी गई अपनी सूचनाओं का पुर्नमूल्यांकन करता है। अपनी वर्ष 2015 की सूचना मे इसने कहा है कि DGAC अपनी उस सूचना को वापस ले लेगी जिसमें उसने अमरीकियों को प्रतिदिन 300 mg से अधिक कोलस्ट्राल का सेवन न करने की सलाह दी थी। विस्तृत जांच के बाद अब जो प्रमाण सामने हैं उनके अनुसार अधिक कोलस्ट्राल युक्त खाद्य पदार्थों तथा सीरम(रक्त) कोलस्ट्राल मे कोई सम्बंध नही है। अमेरिकन हैल्थ असोसिएसन व अमेरिकन कालेज आफ कार्डियोलोजी की यह अनुशंसा है। इससे स्पष्ट हो गया है कि 1970 से  हृदय रोगों से बचने के लिए अधिक कोलस्ट्राल वाले खाद्य पदार्थों के बारे मे यह मानना गलत था कि इनसे रक्त प्रवाह बाधित होता है। अब अंडे, मक्खन, वसायुक्त डेयरी उत्पाद, मूंगफली, नारियल तेल व मांस आदि को सुरक्षित मान लिया गया है। लोगों को खाद्य पदार्थों के बारे मे सलाह देने वाली समिति अब कोलस्ट्राल छोड़ चीनी (sugar) को चिन्तित करने वाला मानकर, इस पर ध्यान केन्द्रित करेगी।

हृदय रोग विशेषज्ञ डा स्टीवन निसेन का कहना है - "यह सही निर्णय है। दशकों तक हमें खाद्य पदार्थों के बारे मे भ्रामक जानकारी दी गई। जब हम अधिक कोलस्ट्राल वाला भोजन करते हैं, तो हमारे शरीर को कोलस्ट्राल कम मात्रा मे बनाना पडता है। इसके विपरीत कम कोलस्ट्राल युक्त भोजन करने पर हमारे लीवर व शरीर को अधिक कार्य करना पडता है।"

प्रतिदिन के आवश्यक मेटाबोलिज्म के लिये हमारे शरीर को 950 mg कोलस्ट्राल की जरुरत पडती है, जिसे हमारा लीवर बनाता है। हम जो भोजन करते हैं उससे मात्र 15% कोलस्ट्राल ही मिलता है। यदि हम कम वसा वाला भोजन करेंगे तो हमारे लीवर को 950 mg कोलस्ट्राल प्राप्ति के लिये अधिक कार्य कर क्षतिपूर्ति करनी पडती है।


हमारे शरीर मे कोलस्ट्राल लीवर द्वारा ही बनाया जाता है। हमारा मस्तिष्क मूल पदार्थ कोलस्ट्रोल से ही बना है। धमनियों के सैलों को क्रियाशील रखने के लिये यह जरुरी है। कोलस्ट्राल स्टीरयाड, हार्मोन्स, एस्टोजन सहित, टेस्टोस्टीरिआन तथा कोर्टीस्टीरियाड की उत्पत्ति का आधार है। शरीर मे कोलस्ट्राल का अधिक मात्रा मे पाया जाना, इस बात का संकेत है कि व्यक्ति के लीवर का स्वास्थ्य उत्तम है।

डा जार्ज वी मान M.D. associate director of the Framingham study for the  incidence and prevalence of cardiovascular disease (CVD) and its risk factors कहते हैं - भोजन मे सेचुरेटेड फैट तथा कोलस्ट्राल कोरनरी तथा हृदय रोग का कारण नहीं। इस बात को मानना इस सदी की सबसे बडी भूल है। विशेषज्ञ कहते हैं कि LDL या HDL कुछ भी नहीं, कोलस्ट्राल शरीर मे ब्लाकेड के लिए जिम्मेदार नहीं।

यह पहली बार नहीं हुआ है। विशेष रुप से भारतीय खानपान को गलत ठहरा कर बाजार मे बहुत से उत्पाद उतार कर अरबों रूपयों की चोट ग्राहकों को दी गई। एक बार लोगों को उन उत्पादनों को बाजार मे प्रचलित होने दिया, ग्राहकों को उनकी आदत लग गई कि फिर विशेषज्ञों की राय के द्वारा उस निष्कर्ष को पलट दिया गया। यहाँ भी यही हुआ है, भारत मे जिन खाद्य पदार्थों को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता था। सभी को कोलस्ट्राल के नाम पर किनारे कर, नवीन नवीन कम कैलोरी वाले पदार्थों को सामने लाया गया। कोलस्ट्राल देश के स्वास्थ्य क्षेत्र मे खलनायक बनकर उभरा और उसने डाक्टरों, दवा उत्पादकों, शरीर मे लगाये जाने वाले कृत्रिम यन्त्रों आदि सभी की व्यापारिक परिभाषायें बदली। इतने दिन दुनिया को बेवकूफ बनाकर खरबों रुपये इधर उधर करने के बाद अन्ततः मुहर भारतीय मनीषियों द्वारा बताये खान पान के उसी व्यवहार पर ही लगी, जो हमारे देश मे सदियों से प्रचलित था। यह उन लोगों के लिये सोचने का विषय है जो अपने देश समाज से जुडी हर वस्तु रीति रिवाज को पिछडा मानते हैं, परन्तु अन्ततः उसी को मानने  को बाध्य होते हैं।

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