Wednesday, 9 November 2016

500 व 1000₹ के नोट बन्द, काले धन व आतंकवाद पर जबरदस्त प्रहार

2 माह पूर्व जब प्रधानमन्त्री मोदी "मन की बात" में कैश लैस इकनामी का जिक्र कर रहे थे, डेबिट/क्रेडिट कार्ड प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये, उन्हे कुछ छूट देने के विचार की बात कर रहे थे। दूर दूर तक भी कोई यह नहीं सोच रहा था कि मोदी मन ही मन में देश में काले धन की उत्पत्ति के श्रोत प्रचलित नकद मुद्रा के विशालकाय कोष को फिल्टर करने की ठान चुके हैं, योजना बना चुके हैं। वैसे भी पिछले 60 वर्षों में हम सरकारी योजनाओं को शोर मचाने वाले भोंपू मान, उन पर ध्यान न देने के अभ्यस्त हो चुके हैं। इसीलिये हम किसी भी सरकारी योजना की घोषणा को गम्भीरता से नहीं लेते और यदि हम कुछ गम्भीरता दिखाना भी चाहें, देश के विपक्षी दल उन योजनाओं की इतनी चीरफाड़ कर डालते हैं कि मामले टांय टांय फिस्स् वाले ही नजर आते हैं। देश के विपक्षी अब भी चेत जायें, कुछ रचनात्मक सोचना शुरू करें। वरना उनके कालबाह्य होने में अधिक समय नहीं है।

8 तारीख को शाम 8 बजे राष्ट्र के नाम सन्देश द्वारा मध्य रात्रि से 500 व 1000₹ के नोट रद्द करने का निर्णय प्रधानमन्त्री ने यक ब यक नहीं लिया। इससे पीछे विभिन्न योजनाओं की पूरी श्रंखला है, तैयारी है, जिसे देश की विपक्षी राजनीति ने कभी समझने का प्रयास ही नहीं किया। इस विषय में मोदी सरकार गम्भीर है, सावधानी व दृढ़ निश्चय के साथ एक एक कदम लक्ष्य की तरफ बढ़ाती जा रही है। याद कीजिये 2015 में जब "जनधन योजना" में शून्य बैलेन्स से बैंकों में बचत खाते खुलवाये जा रहे थे। 10 करोड़ लोगों को बैंक से जोड़ने के इतने बड़े काम को अनदेखा कर दिया। आज कोई यह नहीं कह सकता कि उसका बैंक में खाता नहीं है, जिसमें वह अपने 500-1000 के पुराने नोट कोे बदलने के लिये. जमा करे। 1₹ प्रतिमाह अपने बैंक खाते से कटा कर, 12₹ प्रतिवर्ष दे 2 लाख के प्रधानमन्त्री सुरक्षा बीमा को भी हम भूल चुके हैं, यहां तक कि 291₹ प्रतिमाह उसी बैंक खा में कटवा कर 1000 व 5000₹ प्रतिमाह की अटल पेन्सन योजना भी हमें याद नहीं। विपक्षियों ने इन सभी कल्याणकारी योजनाओं को प्रयत्न कर कर भुलवाया, जबकि यह सभी योजनायें कालाधन व भ्रष्टाचार मुक्त अर्थव्यवस्था की स्थापना की प्रारम्भिक तैयारियां थी।

मोदी सरकार का सुधार कार्यक्रम यहीं नहीं रूका, विदेशी बैंकों में कालाधन जमा कराने वालों के लिये. सख्त नियम, अघोषित आय की घोषणा करने वाली योजना, बेनामी सम्पत्ति सम्बन्धित कानून और अब  500 व 1000₹ के नोट रद्द, सभी कुछ सुव्यवस्थित क्रमबद्ध तरीके से चल रहा है। यह निर्णय सतही तौर पर नहीं लिये जा रहे हैं। मोदी सरकार की देश में मुद्रा के चलन पर पैनी नजर है, नकद राशि का यह चलन ही भ्रष्टाचार और काले धन का जनक है। मोदी सरकार अब तक इस सम्बन्ध में विशेषज्ञों की अनेको समितियां बना चुका है। उनके द्वारा दी गई रिपोर्टों का गम्भीर अध्ययन कर चुका है। अभी पिछले सप्ताह ही अवकाश प्राप्त न्यायधीशों की एक समिति की रिपोर्ट आई है। जिसमें नकद खरीद की अधिकतम सीमा 3 लाख रुपये करने तथा नकद राशि रखने की अधिकतम सीमा 15 लाख ₹ निर्धारित करने की संतुस्ति है। अतः 500 व 1000₹ के नोट बन्द होने के बाद मोदी सरकार कुछ और निर्णय भी ले तो आश्चर्य नहीं, तय है भ्रष्टाचार व कालेधन मुक्त अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ते जाना। 

देश में प्रचलित कुल मुद्रा का 86% 500 व 1000₹ के नोटों की शक्ल में है। कुल प्रचलित मुद्रा के 86% भाग को फिल्टर करना बहुत बड़ा काम है, जो सरकार की बड़ी पूर्व तैयारी के बिना सम्भव न हो पाता। विचार करें पुराने नोटों के बदले नये नोट बैंक से ही मिलेंगे अर्थात देश में प्रचलित सभी नोट मुद्रा का 86% बैंक में जमा होंगे, आप पुराने नोट बैंक में तय समय सीमा में जमा कराइये, वहां से नये नोट प्राप्त करिये। 2016 मार्च तक यह स्पष्ट हो जायेगा कि देश में प्रभावी मुद्रा कितनी है। कई लोग इस बात को लेकर भ्रमित हैं कि जब 500व 1000₹ के नोट रद्द ही करने थे, तो दोबारा 500 व 2000₹ के नये नोट जारी करने की क्या आवश्यकता थी। सीधी सी बात है, देश में सभी नोटों व सिक्कों को मिलाकर कुल 13069₹. की मुद्रा प्रचलन में है, जिसमें से 620 बिलियन मात्र ही बैंकों के पास है। मुद्रा के इतने बड़े बोझ को छोटे नोट नहीं उठा सकते, विशेषकर तब तक जब तक कि अधिकतर लेन देन कैश लैस न हों (क्रेडिट/डेबिट कार्ड, चेक, ई ट्रान्सफर आदि) सरकार इसी तैयारी में है। सरकार का यह कदम बहुत बड़ा व निर्णायक है, आलोचक यह तैयारी भी रखें कि सरकार अन्य कदम भी उठा सकती है।

कैशलैस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ते इस कदम का देश पर पड़ने वाला प्रभाव अभी देखना है। वैसे वर्तमान में विश्व की अनेको सरकारें विभिन्न कारणों से इस दिशा में बढ़ रही हैं। यहां तक कि छोटे छोटे देश जैस़े सोमालीलैन्ड, केन्या, दक्षिणी कोरिया, नाइजीरिया आदि भी इसमें अत्यधिक रूचि ले रहे हैं, स्वीडन, आस्ट्रेलिया व इंग्लैण्ड आदि भी प्रयास में हैं, Cashless Economy पर हम अगले. Blog में विस्तार से चर्चा करेंगे।

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