उस्मानाबाद से शिवसेना सांसद रवीन्द्र गायकवाड़ द्वारा एअर इंडिया कर्मचारी की पिटाई के मामले को कार्पोरेट जगत द्वारा गलत तूल दिया जा रहा है। यह स्थिति एक सांसद की है, उसके स्थान पर कोई साधारण व्यक्ति होता तो उसकी क्या हालत की जाती जरा कल्पना कर देखिए। हम प्रारम्भ में ही यह स्पष्ट कर दें कि हम किसी भी प्रकार की मारपीट का समर्थन नहीं करते, परन्तु जिन अनेकों प्रश्नों को इस मामले में दबा कर सांसद पर अत्याचार किया जा रहा है हम उनका भी समर्थन नहीं कर सकते। ग्राहक की पूरे विश्व में यही कहानी है, उसे लूटा भी जाता है, गुंडा मवाली भी ठहराया जाता है। पूरे प्रकरण को कार्पोरेट चालाकी से दूसरी दिशा में मोड़, अपने ऊपर. से ध्यान हटा, दूर खडा तमाशा देखता रहता है।
यहां भी यही हुआ, कार्पोरेट ने मीडिया के कन्धे पर बन्दूक रखकर सांसद पर हमला कर दिया। मीडिया ने भी आदमी ने कुत्ते को काटा वाली तर्ज पर खबर लगातार चलाई। असली मुद्दे को बहुत गहरे दफना दिया। जहां प्रश्न एअर इंडिया की कार्य प्रणाली पर उठना था, उसे बेचारा बना दिया। चोर को साहूकार बनाकर महिमा मंडित किया गया और इस तिलिस्म में संसद, ग्राहक, मीडिया, नेता व जनता सभी फंस गए।
साधारण सा प्रश्न है आप को हवाई यात्रा करनी होती है। आप एअर लाइन के बुकिंग काउंटर पर जाते हैं। आपको जहां जाना होता है वह स्थान, तारीख व समय बताते हैं। आप वह क्लास भी बताते हैं जिससे आपको जाना होता है। आप पैसे देते हैं, कर्मचारी आपको टिकट देता है। एक बात और आजकल पुराना रजिस्टर पेंसिल वाला सिस्टम नहीं है। सामने कम्प्यूटर लगा होता है जिसके स्क्रीन परसभी कुछ लिखा रहता है।
आप अपना टिकट लेकर हवाई जहाज में पंहुचते हैं, सभी कुछ उलटा रहता है। आप का टिकट जिस क्लास का है, विमान में वह क्लास ही नहीं है। आपको जो सीट नंबर दिया गया था, वह सीट ही नहीं। आप विमान कर्मचारी से शिकायत करते हैं। वह आपको सही छोड़ बेवजह बातें समझाकर किसी प्रकार उडान रवाना कर इस झंझट से बचने की कोशिश करता है। वह आपको किसी इस प्रकार की सीट पर धकेल, जिसके किराये से बहुत अधिक किराया आपने चुकाया है, उडान रवाना कर देता है। आप लुटे पिटे से खामोश ताकते रहते हैं। यह हो क्या रहा है। इस देश में कानून का राज है या दादागिरी गुंडागर्दी चलती है। तो आप यह जान लीजिए यह गैरकानूनी है, ग्राहक संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत दोषपूर्ण सेवा हैं, जिसके लिए एअर इंडिया पूरी तरह जिम्मेदार है, उसको सजा मिलनी चाहिए। अब जिस बात पर पूरे देश को एअर इंडिया को लताड़ना चाहिए, सांसद को लताड़ रहा है। एअर इंडिया की मगरूरी देखिए, खुद की गलती पर माफी मांग अपनी कार्यप्रणाली सुधारने, अपने कर्मचारियों पर गलत कार्य करने की कार्यवाही करने की जगह सांसद को ब्लैक लिस्ट कर रहा है। आज जो भी सांसद के खिलाफ खिलाफ चिल्ला रहे हैं, उनके हिसाब से सांसद को क्या करना चाहिए था। विमान के क्रू से हाथ जोड़कर कहना चाहिये था कि आप बिजनेस क्लास के यात्री को साधारण में बैठा रहे हैं, बहुत अच्छा कर रहे हैं। यही करते रहिये आपकी कम्पनी फायदे में आ जायेगी और यात्रा के अन्त में एअर लाइन के अधिकारी को शाबाशी व धन्यवाद देता।
अब आप अगर साधारण व्यक्ति होते तो रोते चीखते चले आते। अगर आप सांसद महोदय की तरह हिम्मत दिखाते तो विमान कर्मचारी आपको वहीं धो डालते, न किसी को कुछ पता चलता, न कोई समाचार बनता। पूरे देश में घूम देखिए इस तरह की दादागिरी दिखाने वाले हजारों मामले आपको मिल जायेंगे। गायकवाड़ क्योंकि सांसद थे, उन्होंने एक गैरकानूनी कार्य के दबाव में प्रतिक्रिया दी। उनकी प्रतिक्रिया भी यदि गैरकानूनी है तो इसमें इतना बवेला मचाने व सभी एअर लाईनों द्वारा उन्हें ब्लैक लिस्ट करना किस तरह जायज है। दोनों ने गैरकानूनी काम किया है, अब कानून को अपना काम कर फैसला देने दीजिए। बेवजह आप मुन्सिफ क्यों बन रहे हैं।
अन्त में एक बात उनसे जो इस घटना पर मीडिया की क्लिपिंग देख ताली बजा रहे हैं। गायकवाड़ ने मारपीट कर जो गैरकानूनी काम किया, उसकी सजा उनको कानून देगा पर सांसद महोदय ने आपके अधिकारों के शोषण के खिलाफ जो आवाज उठाई है, उसमें अपनी आवाज मिलाकर एअर इंडिया को दंडित करने के लिए आवाज उठाइये।
It is generally expected that the MP also to write about injustice of the airlines in the media. That has minimum effect. He would have raised the issue in Parliament. That would have been better. Taking law into his hands have boomaranged and the real issue is sidelined.
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