यात्री भारतीय रेल में 'परिवर्तनीय किराये' (Flexi fare) की मार सितंबर 2016 में इस व्यवस्था को लागू किए जाने के समय से झेलने को विवश है। इस व्यवस्था में जैसे जैसे यात्रियों द्वारा आरक्षण करवाया जाता है, रेल विभाग स्वयं संचालित तकनीक से यात्री किराया बढ़ाता जाता है। रेलवे ने यह व्यवस्था 2016 में सभी राजधानी, दूरंतो तथा शताब्दी गाड़ियों में जिनकी संख्या लगभग 268 है, लागू की थी। रेलवे द्वारा इसी तरह की एक अन्य विशेष किराये वाली व्यवस्था कुछ विशेष रेलगाड़ियों में भी लागू की थी।
ग्राहक संगठन रेल किराए की इन दोनों व्यवस्थाओं का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि सरकार को इस तरह की व्यवस्थाओं को लागू करने से बचना चाहिए, जो यात्री यात्री में फर्क करने के साथ ही यात्रियों की मजबूरी का लाभ उठाती हैं। रेलवे द्वारा सामान्य तौर पर लागू प्रणाली पहले आओ, पहले पाओ ही बेहतर प्रणाली है। ग्राहक संगठनों की मांग को उस समय बल मिला, जब भारत के 'नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक' ने इस वर्ष के प्रारंभ में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि इस व्यवस्था को लागू करने से, सिर्फ दूरंतो गाड़ियों के स्लीपर दर्जे को छोड़कर अन्य सभी की यात्री संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है, यह रिपोर्ट संसद में भी रखी गई थी। इससे यह उम्मीद बंधी थी कि रेल मंत्री ग्राहक संगठनों की मांग को ध्यान में रखकर शायद इस व्यवस्था को रद्द कर दें। रेलमंत्री ने 'परिवर्तनीय किराये' व्यवस्था का पुनरावलोकन करने के लिए रेलवे बोर्ड से कहा भी था।
रेलवे बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट रेलमंत्री पीयूष गोयल को सौंप दी है तथा रेलमंत्री शीघ्र ही इस विषय में निर्णय लेने वाले हैं। परन्तु रेल मंत्रालय से मिलने वाले संकेतों के अनुसार, रेलमंत्री ग्राहकों को अंगूठा दिखाने वाले हैं अर्थात 'परिवर्तनीय किराये' वाली व्यवस्था में किसी भी प्रकार के बदलाव की संभावना नहीं है। हां, रेलमंत्री उन कुछ रेलमार्गों के बारे में कुछ विचार कर सकते हैं, जिन पर 'परिवर्तनीय किराये' की व्यवस्था लागू करने के बाद यात्री संख्या में भारी गिरावट आई है।
'परिवर्तनीय किराये' की व्यवस्था लागू होने के बाद से थर्ड एसी क्लास, जो मात्र रेल विभाग को लाभ कमा कर देने वाला एकमात्र क्लास है, यात्री संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार थर्ड एसी क्लास में फ्लैक्सी सिस्टम लागू होने के बाद 4.46 प्रतिशत सीटें खाली जाने लगी, जबकि पूर्व में मात्र 0.66 प्रतिशत सीटें ही खाली जाती थी। यदि यात्रियों की संख्या की बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि इन विशिष्ट रेलों में फ्लैक्सी किराया लागू होने के पूर्व 2,47,36,469 यात्री संख्या थी, जो यह व्यवस्था लागू होने के बाद घटकर 2,40,79,899 ही रह गई। यानी यात्री संख्या में 2.65% की सीधी गिरावट, जबकि वर्तमान में सीटों की संख्या में काफी वृद्धि भी हुई है, यह राष्ट्रीय संपत्ति के समुचित उपयोग नहीं किया जाना है। महानियंत्रक ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा कि इस व्यवस्था पर अधिक ध्यान देने तथा मात्र अधिक राजस्व के लक्ष्य को केन्द्र न मानते हुए, अधिक से अधिक यात्री संख्या बढ़ाने पर लक्ष्य केन्द्रित करने की जरूरत है।
अशोक त्रिवेदी
राष्ट्रीय सचिव (पूर्व)
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत
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