Friday, 3 February 2017

बजट में दिखा सरकार का अलग चाल, चेहरा और चरित्र




2017-18 के लगभग 21.5 लाख करोड़ रुपए के बजट ने नेपथ्य में गये भाजपा के चाल, चेहरे व चरित्र के नारे को मुखरित कर दिया। बजट में मोदी​ सरकार का देश की आज़ादी के बाद अब तक आई तमाम सरकारों से अलग चाल, चेहरा और चरित्र स्पष्ट नजर आया। सत्ता में रहते सभी धन बटोरने के जुगाड़ में ही रहते थे। यह कठिन बात है कि इस स्थिति में कोई अपने परही अंकुश लगाने. का साहस दिखाये। समाज जीवन में पारदर्शिता लाने के लिए मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों पर सिर्फ 2000 रु तक नकद लेने की सीमा ही नहीं लगाई, आय कर में छूट लेने के लिये इन पर तमाम अनुशासन पालन करने की शर्तें भी लगा दी।

बजट इस दृष्टि से से भी महत्वपूर्ण​ है कि इस समय दुनिया के तमाम समृद्ध देश अपनी आन्तरिक व्यवस्थायें, जिनमें आर्थिक व्यवस्था विशेष है, संवारने और सुधारने में लगे हैं। जैसे ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन छोड़ दी, अमेरिकी ट्रम्प सरकार तमाम बदलाव करने में लगी है। धीरे धीरे विश्व में यह प्रचलन बढ़ेगा। इससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि 90 के दशक से चला वैश्वीकरण का ताना बाना आगे चलकर कमजोर पड़ने की पूरी सम्भावना है। अत: हमें भी अपने आर्थिक आधार को मजबूत व स्वावलम्बी बनाने की जरुरत है।  

आज भी भारत का मुख्य आर्थिक आधार गांव व किसान ही है। जो जीडीपी में बहुमूल्य योगदान के साथ देश को आर्थिक मजबूती के साथ रोजगार देता है। बजट में गांव और किसान की चिंता की गई है। किसानों को कर्ज़ देने के लिए धन का आवंटन बढ़ाने, 60 दिन के कर्ज की माफी की व्यवस्था है। किसानों की सबसे बड़ी समस्या प्राकृतिक या किसी अन्य आपदा के चलते फसल नष्ट होना थी। इन स्थितियों में फसल बीमा किसानों के लिये बड़ी राहत है, यह योजना देश को मोदी सरकार की ही देन है। बजट में फसल बीमा के दायरे को बढ़ाया गया है। देश में आज भी आधे से अधिक खेती के लिये सिंचाई के लिए मौसम पर निर्भर है। मार्च 2017 तक 10 लाख तालाबों के पूरा होने होने​ के बाद और 5 लाख तालाब बनाने की योजना कृषि क्षेत्र की सिंचाई व ग्रामीण क्षेत्र की पानी की आवश्यकता को पूरा करेगी। मनरेगा में बढ़ाये धन से अधिक रोजगार तथा गांवों को सड़क से जोड़ना व बिजली उपलब्ध कराना, बहुसंख्य आबादी के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के साथ ही, इन क्षेत्रों से शहरों की ओर होने वाले पलायन को रोकने में सहायक होगा।

बढ़ती आर्थिक असमानता विश्व के लिए चिंता का विषय है। अमीर पर अधिक व गरीब पर कम टैक्स लगाने वाली आदर्श टैक्स योजना अब तक किताबों में ही सिमटी थी। मोदी सरकार ने बजट में इसे किताबों से निकाल मूर्त रूप देकर आर्थिक असमानता पर प्रहार किया है। अब 3 लाख तक की आय करमुक्त होगी,. 5 लाख तक की आय पर 10% के स्थान पर 5% टैक्स  ही देना होगा। 50 लाख से 1 करोड़ तक की आय पर 10% सरचार्ज लगाने का प्रावधान किया गया है।

500-1000 रु के नोटों को बन्द कर मोदी सरकार तिजोरियों में बंद पैसे को पहले ही बैंको तक लाकर काले धन को टैक्स व जुर्माना लेकर सफेद बनाने की प्रक्रिया में लगी थी। भ्रष्टाचार व काले धन की उत्पत्ति को रोकने तथा अधिक से अधिक लोगों को टैक्स की परिधि में लाने के लिये बजट में अनेकों उपाय करने के साथ साथ, सरकार आवश्यकता के अनुसार नये नये कदम उठा रही है।

लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों का देश की जीडीपी व रोजगार में बड़ा बड़ा योगदान है । इन्हे बड़े उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई थी। इन उद्योगों को सशक्त करने के लिये इन्हे टैक्स में 5% की छूट दी गई. है, ताकि वह विकसित हो सकें। छोटे मकानों के निर्माण को मूलभूत ढांचे की श्रेणी देना, इस क्षेत्र को विकसित करने के साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार निर्माण में सहायक होगा।

देश में आर्थिक अपराधों को रोकने की समुचित व्यवस्था का अभाव था। कोई भी व्यक्ति वित्तीय लेनदेन के व्यापार को खोल, गरीब ग्राहकों की लाखों करोड़ों की पूंजी लेकर गायब हो जाता था। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत इस सम्बन्ध में अनेकों वर्षों से प्रभावी नियम कानून कानून​ बनाने की मांग कर रही थी। बजट में इसे रोकने की व्यवस्था के साथ ही जो लोग बैंको का पैसा लेकर. विदेश भाग जाते थे, उनकी सम्पत्ति जब्त करने संबंधी कानून बनाने की बात है।

2016-17 के बजट में राजस्व घाटा 2.3% प्रस्तावित था। इस घाटे को 2.1% पर समेट कर सरकार ने अपनी कथनी और करनी को एक सिद्ध कर दिया है। FRBM कमेटी ने बजट के वित्तीय घाटे को 3% सीमित करने की अनुशंसा की थी। वित्त मंत्री ने इस अनुशंसा के अनुरूप इसका लक्ष्य जीडीपी का 3.2% निर्धारित किया है।

सभी जानते हैं कि आर्थिक प्रगति करने में किसी भी देश को पर्याप्त समय लगता है। यह बात 70 वर्षों से बजट द्वारा स्वार्थ साधने वालों को न तो दिखाई देगा, न समझ आयेगा। इसीलिए वह अच्छे दिन की आहट सुन पाने में असमर्थ हैं। देश ने अब तक जैसा देखा है, अनेकों वर्षों तक लगातार रहने वाली सरकारें भी इस बजट में लिए गये निर्भीक व जोखिम भरे निर्णय लेने से कतराती हैं। चाहे यह निर्णय देश की प्रगति के लिए आवश्यक ही क्यों न हों, मोदी सरकार ने देशहित को तरजीह देते हुए सर्वहारा की भलाई के लिये भविष्य की दिशा निर्धारित करने वाला बजट प्रस्तुत कर अपनी सरकार के अलग चाल, चेहरे व चरित्र की प्रामाणिकता सिद्ध कर दी है।


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