Thursday 5 June 2014

क्यों नहीं लिख रहे डाक्टर जेनरिक दवाइओं के प्रिस्क्रिप्शन

दवाई कंपनियों और दवाई के दामों पर चर्चा कोई नई नहीं है। पेटेन्टेड दवाइओं और जेनेरिक दवाइओं की कीमतों में अन्तर पर चर्चा वर्षों से चल रही है। अब तो यह पूरे विश्व में फ़ैल चुकी है। बड़ी कम्पनियाँ अपनी दवाइओं के दाम उनकी उत्पादन लागत से हज़ारों  गुना ज्यादा वसूलती हैं। इन कम्पनियों ने इस बात पर भी बहुत हो हल्ला मचाया कि भारतीय कम्पनियां वही दवाईयां जेनेरिक नाम से बहुत ही कम कीमतों पर बेचती हैं अतः उन पर प्रतिबन्ध लगाया जाय। नोवार्टिस नाम की कम्पनी तो इस लड़ाई को उच्चतम न्यायालय तक खींच ले गई। यह दूसरी बात है कि नोवार्टिस इस लड़ाई को उच्चतम न्यायालय में जीत नहीं सकी।बाजार में दवाएं तो दोनों तरह की मिलती हैं। परन्तु डाक्टर अपने मरीजों को कौन सी दवायें लिख कर देते हैं, यह बात महत्वपूर्ण है। इसके बारे में भी बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं। आज की महंगाई में ग्राहकों की मुसीबत यह है की वह महंगी दवायें कैसे खरीद कर खाए। इस ऊहापोह की स्थिति में सिर्फ डाक्टर ही मरीजों की मदद कर सकते हैं। परन्तु विभिन्न कारणों से यह हो नहीं रहा है।  अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत इस बारे में विचार कर रही थी कि किस तरह से डाक्टरों में इस बात को फैलाया जाये कि वो मरीज़ों को जेनरिक दवाएं ही लिख कर दें। 

महंगाई के इस दौर में मरीजों की मदद के लिए भारतीय चिकत्सा परिषद (इंडियन मेडिकल काउन्सिल ) आगे आई है।  यह संस्था देश में डाक्टरों का रजिस्ट्रेशन करती है तथा उनके लिए आचार संहिता तय करती है। इस संस्था में पंजीयन कराये बिना कोई भी डाक्टर मरीजों का इलाज नहीं कर सकता है और यदि इस संस्था को लगे कि डाक्टर ने इलाज में आचार संहिता का पालन नहीं किया है तो डाक्टर का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इस संस्था ने व्यावसायिक आचरण,शिष्टाचार तथा सहिंता नियमावली 2002 की धारा 1 - 5 में स्पष्ट उल्लेख किया है - "जहां तक सम्भव हो सभी फिजिशियन ,जेनेरिक नाम से दवाइओं को लिख कर दें।  वह सुनिश्चित करें कि उनके द्वारा लिखा दवाई का पर्चा दवाओं के प्रयोग के बारे में संतुलित है।"

इंडियन मेडिकल काउन्सिल ने तो नियम बना दिया परन्तु अभी देश में यह अच्छी तरह से लागू नहीं है। अतः अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के कार्यकर्ताओं का यह कार्य है कि वो डाक्टरों से मिलकर प्रार्थना करें कि डाक्टर अधिक से अधिक जेनेरिक दवाइयाँ ही लिखें।  देश भर में फैले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मिलकर अनुरोध करें कि वह अपने सदस्यों को जेनरिक दवाइओं के अधिक से अधिक उपयोग के लिए प्रेरित करें