Monday 8 February 2021

शहीद की परिभाषा बदलने पर तुली प्रियंका गांधी वाड्रा

 मेरे विचार में बेअंत सिंह और सतवंत सिंह शहीद नहीं थे, जिन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गोलियां चलाई थी, हालांकि एक वर्ग उसी दिन से उन्हें शहीद का दर्जा दे रहा है। मेरी दृष्टि में तेन्मोझी राजरत्नम उर्फ धनु भी शहीद नहीं थी, जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समीप मानव बम बनकर फटी थी। जबकि उसको भी एक वर्ग शहीद मानता है। यह दोनों ही अपराधी थे, पूरा देश इनको अपराधी के रूप में ही पहचानता है, शहीद के रूप में देश में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की पहचान है। लेकिन मोदी विरोध, इनकी पोती और पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा पर इस कदर हावी है कि वह देश में शहीद की परिभाषा को ही बदलने में जुट गई हैं। प्रियंका की शहीद की परिभाषा में बेअंत सिंह और धनु एकदम फिट बैठते हैं।

  




देश शहीद का दर्जा उस व्यक्ति को देता है, जो देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को बचाने में अपने प्राणों का उत्सर्जन कर देता है, उसे नहीं जो संवैधानिक व्यवस्थाओं को नष्ट-भ्रष्ट करने के लिए आक्रमण करता है और जान गंवा बैठता है। लेकिन प्रियंका गांधी आजकल शहीद की इस परिभाषा को बदलने में जी जान से जुट गई हैं। परंतु यह बात न प्रियंका को समझ आयेगी और न ही उनके पिछलग्गुओं को, जो सत्ता छिनने से इस कदर बौखलाये हुये हैं कि किसी भी कीमत पर मोदी विरोध ही उनका एकमात्र लक्ष्य है।


दिल्ली के आईटीओ पर 26 जनवरी के दिन, अंधाधुंध ट्रैक्टर भगाकर पुलिस बैरीकेड को तोड़ने और फिर ट्रैक्टर पलट जाने के कारण जान से हाथ धो बैठने वाले रामपुर के नवरीत सिंह की अंतिम अरदास में अपने कारवें के साथ शामिल ही नहीं हुई, बल्कि उसे शहीद भी घोषित कर आई। जबकि नवरीत प्रतिबंधित क्षेत्र में ट्रैक्टर घुसाने, खतरनाक तरीके से उसे चलाने, जबरदस्ती बैरिकेड तोड़ने और वहां पर ड्यूटी दे रहे पुलिस कर्मियों को जान से मारने का प्रयास करने जैसे अपराधों का दोषी है। 


दुश्मन से देश को आजाद कराने की लड़ाई में जान गंवाने वालों को शहीद का सम्मान देने की प्रथा इस देश में अवश्य रही है, अंग्रेजों की गुलामी से देश स्वतंत्र कराने की लड़ाई में जान गंवाने वालों को देश शहीद का दर्जा देता रहा है। प्रियंका गांधी वाड्रा को देश को बताना चाहिए कि उनके और कांग्रेस के अनुसार किसे शहीद का दर्ज़ा दिया जाना चाहिए। जो देश के संविधान कानून को धता बताने के कार्य करता हुआ जान दे या फिर वह जो देश के संविधान की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर दे। नवरीत को शहीद बताने की कहीं यह तो वजह नहीं है कि प्रियंका मोदी सरकार को दुश्मन देश की सरकार मानती हैं और नवरीत ने उसके खिलाफ लड़ते हुए जान दी है।