Wednesday 4 May 2016

विश्व की अर्थव्यवस़्था किस करवट बैठने जा रही है।

पिछले दो वर्षों मे विश्व के आर्थिक क्षितिज पर दो बड़ी घटनायें हुई हैं, जिन्होने विश्व के राजनीतिज्ञों, अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों तथा व्यापारियों को हतप्रभ कर दिया है। यह तो तय है कि यह घटनाक्रम विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाओं पर दूरगामी परिणाम डालने वाला है परन्तु सभी सांस रोके निष्कर्ष निकालने के प्रयास मे हैं।

पिछले दिनोंं की पहली बड़ी घटना बहुत तीव्र गति से विकास की सरपट सीढ़िय़ां चढ़ने वाली चीन की अर्थव्यवस़्था का मन्दी का शिकार होना, इस घटना ने विश्व को दातों तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया। लोग अभी भी चीन के मन्दी से उबरने के इन्तजार मे हैं। अपने देश मे उद्योगपतियों, अर्थशास्त्रियों ने हमेशा सरकार का रूख अपने पक्ष मे करने के लिये चीन का नाम ले लेकर डराया है। सरकार भी हमेशा चीन का हौव्वा खड़ा करती रही है। आज सभी खामोश बैठे हैं, उस भूत के सामने आने के इन्तजार मे जो बहुत पहले अपने आने की आहट दे चुका है। चीन ही नहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस़्था इससे प्रभावित होने वाली है। विशेष रूप से वह देश जो अपने विकास की राह ढूंढते समय इन तथ्यों को अनदेखा करेंगे। चीन की इस गिरावट का विश्लेषण करने का प्रयास करते हैं।
दशकों तक अमेरिका चीन मे उत्पादन की बाढ़ लाये हुये था। यूरोपीय देश भी इसमे सहभागी बनकर चीन मे होने वाले उत्पादन को प्रोत्साहित कर रहे थे। जिसे चीन मे श्रम की बढ़ती कीमतों, विदेशों से कच्चे माल को मंगाने और तैयार होने के बाद उसे वापस भेजने के खर्च तथा मशीनों के बढते आटोमेशन खर्च ने चीन की उत्पादन व्यवस्था के गणित को बुरी तरह गड़बड़ा दिया है। अभी इस गिरावट मे रोबोटों के बढते उपयोग का प्रभाव पड़ना बाकी है। यह नहीं कि चीन को रोबोट तकनीक के विकसित होने की जानकारी नहीं है। उसकी योजना श्रमिकों को रोबोट से बदलने के कार्य मे विश्व के शीर्ष पर रहने की है। चीन का गुआन्गडोंग प्रान्त विश्व का पहला श्रमशून्य क्षेत्र बन रहा है, जहां 1000 रोबोट 2000 श्रमिकों का कार्य करेंगे। चीन को इस प्रयोग मे श्रम के बढ़ते मूल्य के कारण उत्पन्न समस्या का समाधान नजर आ रहा है।

फॉक्सकान वर्ष 2011 मे ही घोषणा की थी कि वह अपने 1 मिलियन श्रमिकों को कम कर उनका कार्य रोबोटों से करायेगी। परन्तु यह हो नहीं पाया क्योंकि रोबोट श्रमिकों के साथ मिलकर संवेदनशील सर्किटबोर्ड की रचना बनाने मे सफल नहीं हो सके। परन्तु नये मॉडल के रोबोट ABBs Yumi तथा रिथिन्क रोबोट Sawyer यह कार्य करने मे सक्षम हैं। इन मॉडलों के रोबोट सुई मे धागा डालने जैसे काम करने मे भी सक्षम हैं। इनकी कीमत भी कार की कीमत जितनी है।

अभी चीन की समस्या यह है कि उसके रोबोट पश्चिमी देशों के रोबोटों के समान उत्पादक नहीं हैं। फिर भी वह 24x7 सभी काम करते हैं। वह अपनी यूनियन भी नहीं बनायेंगे, उनकी लागत भी उनको चलाने वाली ऊर्जा की लागत के बराबर ही आती है। परन्तु फिर भी उत्पादन और माल लाने ले जाने मे लगने वाले लम्बे समय तथा खर्च के कारण अब यह उपयोगी नहीं रह गया कि कच्चे माल को समुद्रोंं के पार सिर्फ असेम्बल करने भेजा जाये और असेम्बल होने के बाद उसको वापस मंगाया जाये। वस्तुओं का उत्पादन अब स्थानीय उद्योग का स्वरूप लेता जा रहा है।

यद्यपि पश्चिमी कम्पनियों को रोबोटों द्वारा आने वाली कठिनाईयों को समझने, स्वचलित उद्योगों की स्थापना करने, श्रमिकों को दक्ष करने तथा चीन जैसी वितरण प्रणाली की  श्रंखला बनाने समझने में वर्षों लग जायेंगे, परन्तु इन सभी समस्यायों के हल कठिन नहीं हैं। वर्तमान मे उत्पादन तन्त्र के पश्चिम प्रवेश की गति बहुत धीमी है, आने वाले 5 - 7 वर्षों मे इन घटनाओं की बाढ़ आने वाली है।

विश्व की दूसरी बड़ी घटना तेलों के दामों के धड़ाम होने की है। लगभग पूरी दुनिया यह सोच रही है कि कीमतों मे कमी मांग और पूर्ति के आधार पर हुई है। कीमतें पुनः उछाल मारेंगी। इसी तरह चीन की अर्थव्यवस़्था भी पुनः पटरी पर आयेगी। स्टेनफोर्ड रिसर्च इन्सटीट्यूट, अमेरिका के विवेक वाधवा का कहना है कि लोग विश्वभर मे होने वाले भूराजनीतिक परिवर्तन से अनभिज्ञ हैं। हमें चीन की अर्थव्यवस़्था के उभरने की चिन्ता छोड़, उसके और गिरने से डरना चाहिये। तेल की कीमतों का तथ्य भी यही हैं कि आने वाले 4 - 5 सालों तक थोड़ा अधिक ऊपर नीचे देखते हुये यह उद्योग डायनासोर की राह का अनुसरण करने जा रहा है। इन सबके कारण आने वाले समय मे जल्दी ही विश्व के आर्थिक सन्तुलन मे बदलाव आयेगा।

विश्व मे होने वाले तकनीक परिवर्तन को देखते हुये विवेक की बात युक्ति संगत लगती है। LED बल्ब, गर्म व ठंडा करने की बेहतर व्यवस्थायें, कम्प्यूटरीकृत सॉफ्टवेयर के आटोमोबाइल उद्योग मे प्रयोग के कारण पिछले दशक से बढ़ती ईंधन क्षमतायें और सबसे अधिक धक्का देने वाली (Fracking) फ्रेकिंग तकनीक ( इस तकनीक से पानी से तेल व प्राकृतिक गैस निकालते हैं।) अमेरिका इस तकनीक का विश्व मे नेतृत्व करने वाला देश है। साथ ही अन्य नवीन तकनीकों तथा तकनीक ज्ञान से भूमि से अधिक से अधिक हाइड्रोकार्बन निकालने के प्रयास। यद्यपि अभी इस सम्बन्ध मे पर्यावरण से जुडी कुछ चिन्तायें हैं। बहुत अधिक सम्भावना है कि आने वाले वर्षो मे यह विषय विश्व व्यापार संगठन मे भी आये। परन्तु इसके कारण तेल व गैस का उत्पादन बढ़ा है। इसके कारण पुराने कोयले से चलने वाले  बिजली संयन्त्रों को ग्रहण लगा है। साथ ही इसने अमेरिका की विदेशी तेल पर निर्भरता को बहुत कम कर दिया है।

विश्व की वर्तमान अर्थव्यवस्था को दूसरा बड़ा झटका स्वच्छ ऊर्जा से मिलने वाला है। सौर व पवन ऊर्जा का प्रभाव निरन्तर बढ़ता जा रहा है। प्रति दो वर्षों के अन्तराल मे सौर ऊर्जा संयन्त्र अपनी क्षमता दुगनी कर रहे हैं। फोटोवोलेटिक सैलों की कीमत वर्तमान मे 20% पर आ टिकी है। सरकारें अनुदान के बिना ही बाजार कीमत पर सौर ऊर्जा संयन्त्र लगा रही हैं। यह कीमत भी वर्ष 2022 तक आधी रह जानी है। आज भी  घरों मे लगने वाले सौर ऊर्जा संयन्त्रों  की कीमत 4 वर्षों मे ही वसूल हो जाती है। वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा वर्तमान की ऊर्जा आवश्यकता को शत प्रतिशत पूरा करने मे सक्षम होगी। वर्ष 2035 तक इसकी स्थिति मोबाइल फोन जैसी हो जायेगी ।

आज इन बातों को मानना कठिन है, क्योंकि अभी सौर ऊर्जा से दुनिया की मात्र 1% से भी कम आवश्यकता पूरी हो पाती है। परन्तु हमे यह समझ लेना चाहिये कि इस तरह की तकनीकें (Exponential) एक्सपोनेन्सियल गति अर्थात चार घातांकी गति से बढ़ती हैं। प्रति दो वर्षों मे वह अपना फैलाव दुगना कर लेती हैं तथा उनकी कीमतें कम होती हैं। कैलीफोर्निया अभी अपनी आवश्यकता की 5% बिजली का उत्पादन सौर ऊर्जा से कर रहा है। हम यह थाह नहीं लगा सकते कि कुछ समय तक कुछ और गुना उत्पादन बढने पर क्या होने वाला है। संकेत स्पष्ट है जीवाष्म (Fossils) ईंधन उद्योग बहुत जल्दी लुप्त हो जायेगा।

Exponential चार घातांकी तकनीकें धोखा देने वाली होती हैं। क्योंकि शुरू मे यह धीमी गति से आगे बढ़़ती हैं, फिर 1% का 2, 2 का 4, 4 का 8 तथा 8 का 16 होने मे समय नहीं लगता। भविष्यवेत्ता रे कर्जवेल का मानना है - "जब चार घातांकी (Exponential) तकनीक 1% पर होती है, आप उसके 100 तक पँहुचने का आधा सफर तय कर चुके होते हैं।" सौर ऊर्जा आज उसी मुकाम पर है।

फ्रेकिंग (Fracking) की चार घातांकी प्रगति तथा शनः शनः ईंधन क्षमता की वृद्धि का अध्ययन करने वाले को वर्षो पूर्व यह आभास हो जाता, वह अनुमान लगा सकता था कि वर्ष 2015 मे तेल की कीमतों मे अप्रत्यशित गिरावट आयेगी। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि मांग और पूर्ति के छोटे अन्तर के कारण विश्व मे तेल की कीमतें धराशायी हो जायें, बाजार इसी तरह काम करता है। जब मन्दी आती है तो शेयर और वायदा बाजार धड़ाम हो जाते हैं। 

इन सब के साथ ही दूसरी तकनीक क्रान्ति "डिजिटल उत्पादन "भी दरवाजा खटखटाने लगी है।

पारम्परिक उत्पादन मे आरी, लेथ मशीन, मिलिंग मशीन तथा ड्रिल आदि पारम्परिक ऊर्जा से चलने वाली मशीनों का उपयोग कर पुर्जों का उत्पादन किया जाता है। इसमे एक तरह अतिरिक्त पदार्थ को हटाकर इच्छित आकार प्राप्त किया जाता है। डिजिटल उत्पादन मे पदार्थ को क्रमबद्ध गलाकर 3D माडल के अाधार पर इच्छित आकार प्राप्त किया जायेगा। इसमे पदार्थ को हटाने के स्थान पर जोड़ा जाता है। 3D प्रिन्टर धातु के पाउडर, प्लास्टिक के टुकड़ों तथा दूसरे पदार्थों का उपयोग कर इनका उत्पादन करेंगे। यह तकनीक बहुत कुछ उसी तरह कार्य करेगी जिस तरह टोनर लेजर प्रिन्टरों मे करते हैं। 3D प्रिन्टर भौतिक उपकरण, चिकित्सकीय आरोपण, गहने तथा वस्त्र आदि की संरचना भी करने लगेंगे। अभी यह धीमा, जटिल तथा अव्यवस्थित दिखाई देता है, जिस तरह पहली पीढ़ी के प्रिन्टर दिखते थे। लेकिन यह सब बदलेगा।

वर्ष 2020 तक हमारे घरों मे बेहतर व सस्ते प्रिन्टरों के पंहुचने की उम्मीद है। इनसे खिलौने व घरों मे अन्य काम मे आने वाले सामानों को बनाया जा सकेगा। व्यापारी गहन कलात्मक तथा उन वस्तुओं के  लघु पैमाने पर उत्पादन के लिये 3D प्रिन्टरों का उपयोग करेंगे, जिनमे बहुत अधिक श्रम लगता है । अगले दशक तक 3D प्रिन्टरों से बिल्डिंगें तथा इलेक्ट्रानिक सामान भी बनने लगेंगे। इनकी गति भी उतनी ही तेज होगी जितनी आज के लेजर प्रिन्टरों की है। अब हमे आश्चर्य नहीं होना चाहिये यदि वर्ष 2030 तक रोबोट हड़ताल पर जाकर यह मांग करने लगें कि 3D प्रिन्टरों को बन्द करो, यह हमारा रोजगार छीन रहे हैं।

इन भूराजनीतिक परिवर्तनों के परिणाम अद्भुत तथा चिन्ताजनक होने वाले हैं। यह तकनीक युग होगा। कल्पना कीजिये यह घटित होने के बाद विश्व के विभिन्न देशों की स्थितियां क्या होंगी, अमेरिका अपनी खोज दोबारा कर रहा होगा जैसा प्रत्येक 30 - 40 वर्षों के अन्तराल पर करता है। रूस और चीन अपनी आबादी का ध्यान भटकाने के लिये आन्तरिक झगड़ों मे उलझेंगे। वेन्जुएला जैसे तेल उत्पादक देशों का दिवाला निकल जायेगा। मध्य पूर्व असन्तुलन की आग मे झुलसेगा। 

भारत के विकास कार्यक्रमों का भी इसी छाया मे मूल्यांकन किया जाना चाहिये। वह देश ही जो अपनी जनसंख्य़ा को शिक्षित करने पर बेहतर निवेश कर रहे हैं, मजबूत अर्थव्यवस्थायें बनकर उभरेंगे। जो लोकतान्त्रिक व्यवस्थायें इस परिवर्तन से कदम मिला सकेंगी उन्हे लाभ मिलेगा। क्योंकि वह अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ इस प्रयास मे होंगी कि तकनीक से होने वाले विकास का अधिक से अधिक लाभ कैसे लिया जा सकेगा।

Tuesday 3 May 2016

अर्थरचना मे कब साकार होंगे दीनदयाल उपाध्याय के विचार


पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने जनसंघ के पूनाशिविर मे भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध मे अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा था - "समृद्धि के फलों को चखने की स्वतन्त्रता देने वाली शोषण मुक्त विपुलता की अर्थव्यवस्था प्राप्ति हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य होना चाहिये।" इसी को ध्यान मे रखकर पंडित जी अंत्योदय की बात कहा करते थे। परन्तु कालान्तर मे हमारी अर्थव्यवस्था के पाश्चात्य अनुकरण ने धीरे धीरे वह सभी बुराइयां आत्मसात कर ली जिनसे उन्हे दूर रखना था। भारतीय चिनंतन के पक्षधर दीनदयाल जी जीवन को समग्र दृष्टि से देखते थे। उसमे पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, तत्वों केसाथ ही अपने इर्द गिर्द मौजूद प्राकृतिक अवयवों के साथ साथ परलौकिक द्रष्टि भी समाविष्ट थी। इन सभी तत्वों के संयुक्त स्वरूप द्वारा समायोजित जीवन रचना को ही वह मानव समाज के लिये कल्याणकारी व्यवस़्था मानते थे। उस समय की प्रचलित अर्थनीतियों से उनका मतभेद था। वह कहा भी करते थे -  "जिस अर्थशास्त्र को मानव के समग्र जीवन और उसके आर्थिक घटकोंं की तरह आर्थिकेतर घटकों का भान ही न हो, वह मानव जीवन को शास्वत कल्याण की दिशा नहीं दे सकता।"  परन्तु उस कालखंड मे पश्चिमी देशों मे पली बढी, भारतीय जीवन के पक्षों से अनभिज्ञ, पाश्चात्य दर्शन को ही प्रगति का एकमेव शास्वत पंथ मानने वाली मंडली ही सत्ता पर काबिज थी, जो भारतीय दर्शन को पुरोगामी मानती थी, लिहाजा अन्य देशों के साथ साथ हम भी उसी मार्ग पर बढ चले और शनः शनः भारतीय जीवन दर्शन से दूर होते चले गये।

दीनदयाल जी का आर्थिक चिन्तन मौलिक व भारतीय जीवन दर्शन के अनुरूप था। इसमे परम पूज्यनीय गुरू जी द्वारा १९७२ के ठाणे शिविर मे आर्थिक विषयों के सम्बन्ध मे किये मार्गदर्शन की छाया प्रतिबिम्बित होती है।एक पंरकार से दीनदयाल जी परम पूज्यनीय गुरू जी के विचारों को धरातल पर उतारने के प्रयास मे लगे थे। पंडित जी की अंत्योदय गुरू जी द्वारा कहे गये शब्दों - प्रत्येक नागरिक की मूलभूत आवश्यकतायें पूरी होनी चाहिये। का विकसित स्वरूप है। इससे गुरू जी व दीनदयाल जी की वैचारिक साम्यता भी दिखाई देती है। पंडित जी उन परिस्थितियों को अच्छी तरह जानते समझते थे, जिनके चलते स्वतन्त्रता के बाद के काल खंड मे भारतीय अर्थव्यवस्था का मौलिक स्वरूप विकसित करने केे प्रयास मे लगे दादाभाई नारोजी, आर सी दत्त व लोकमान्य तिलक के विचारों को हाशिये पर छोड़ दिया गया था।

यह कहना भी सही नहीं होगा कि अर्थ चिन्तन की इस दिशा को भारतीय भूमि पर ही मान्यता प्राप्त थी।सर्वकल्यीणकारी अर्थरचना विकसित करने मे आर्थिक घटकोंं के साथ साथ अनार्थिक घटकों की महत्वपूर्ण भूमिका को पश्चिमी अर्थशशास्त्री भी पहचानने लगे थे। दीनदयाल जी के आर्थिक चिन्तन का समर्थन विश्व के अनेको अर्थशास्त्रियों ने किया। वर्तमान मे अमीर गरीब के तेजी से बढते अन्तर को देखता विश्व दीनदयाल जी के विचारों की सार्थकता को तेजी से पहचान रहा है। जीवन स्तर विकसित करने के नाम पर अनैतिक शोषण का व्यापार चारो तरफ हावी हो चला है। प्रसिद्ध चिन्तक अल्विन टाफ्लर अपनी पुस्तक फ्यूचर शॉक मे लिखते हैं -"आधुनिक अर्थरचना दोषपूर्ण है, क्योंकि यह अत्यधिक अर्थकेन्द्रित है। इसमे पुरी शक्ति धन, उपयोगिता तथा मूल्य पर ही लगायी गई है।" इस एकांगी मार्ग का अनुसरण करने से आर्थिक के साथ साथ सामाजिक जीवन मे भी अनेको समस्यायें खडी हो गई हैं। धीरे धीरे इस तथ्य को विश्व के अनेको विद्वानों  का समर्थन मिला है। प्रा गुन्नार मिर्डल का कहना है - अर्थशास्त्रियों द्वारा निरूपित उत्पादन के घटकोंं के गुणधर्मों के साथ आर्थिकेतर घटकों का भी पर्याप्त सम्बन्ध रहता है। इसलिये आर्थिक घटकोंं के साथ साथ आर्थिकेतर घटकों का भी विचार करने वाले अर्थशास्त्र को हमें विकसित करना होगा।

अर्थरचना के सम्बन्ध मे यथार्थ यह है कि अपने जन्म के समय से ही अर्थरचना एक प्रभावशाली समूह के प्रभाव मे चली गई । धीरे धीरे उस वर्ग ने उसे अपने हितों के अनुरूप मोड़ना शुरू कर दिया। वर्तमान मे यह सिर्फ उसी वर्ग के हित साधने मे लगी है। इस वर्ग का प्रभाव इतना है कि वह सम्पूर्ण उत्पादन तन्त्र को ठप्प कर समस्त आर्थिक जीवन को पंगु बनाने मे सक्षम है। ऐसा भी नहीं कि इस प्रभावशाली वर्ग ने कभी उत्पादन तन्त्र पर आक्रमण कर व्यवस़्था को अपने हित मे मोडने का प्रयास न किया हो, अधिक लाभ कमाने के अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिये यह बाजार मे अपने प्रभाव का मांग व पूर्ति को अमानवीय तरीकों से प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। दीनदयाल जी ने "विकास की दिशा" नामक पुस्तक मे लिखा है कि अमेरिका मे दूध का उत्पादन अधिक हो जाने के कारण दूध के दामों को गिरने से रोकने  के लिये, यह १० लाख स्वस्थ व दुधारू गायों को मारने का निर्णय ले लेते हैं। लाखों टन गेहूं समुद्र मे सिर्फ इस कारण से फिकवा देते हैं ताकि अनाज के दामों मे कमी न आने पाये। अर्थरचना पर वर्ग विशेष केे प्रभाव के कारण ही विश्व के अनेको महान चिन्तकों के विचारों के बावजूद इस विषय पर कुछ भी नहीं किया जा सका।

यह अर्थरचना अपने आसपास के बाजार, मूल्य तथा क्षेत्र सभी प्रभावित करती है। बाजार का आकार बढाने के लिये शहर, राज्य और देश की सीमा तोड़ अर्न्तराष्ट्रीय बाजारों पर अधिपत्य, मूल्य के विषय मे बाजार मूल्य की सभी स्थापित मान्यताओं को नष्ट कर स्वेच्छाचारी प्रवृति अपनाने का षढयन्त्र तथा उसके बाद पूंजी निर्माण के सभी सम्भावित क्षेत्रों पर अधिकार तथा नवीन क्षेत्रों की रचना सम्मिलित है। वर्तमान मे यह षढयन्त्र लोकहित व जनकल्याण का मुलम्मा चढाकर आता है ताकि लोग समझ न सकें और जब तक समझ मे आये बात हाथ से निकल चुकी हो। 

अमेरिकी अर्थशशास्त्री स्टैसी मिशैल इस सम्बन्ध मे अपनी पुस्तक "बिग बाक्स स्विन्डल" मे लिखती हैं - The economic structure that present economy is propogating represent a modern variation on the old European Colonial System, which was designed not to build economically viable and self reliant communities but to extract their wealth and resources. "

Monday 2 May 2016

विश्व की आर्थिक समीकरणें बदल रही हैं, हल्के मे मत लेना!


ग्राहक आन्दोलन का अर्थ अपने आसपास कानून के अनुपालन वाली संरचना खड़ी करना तथा जहां यह नहीं है वहां पर इसकी व्यवस़्था करने तक मर्यादित नहीं है। विशेष रूप से ग्राहक पंचायत जैसे  संगठनों से, उनके लिये आवश्यक है कि विश्व की आर्थिक हलचलों तथा उसके ग्राहकों पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभावों के साथ राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक, पर्यावरणीय प्रभावों का अध्यन विश्लेषण कर उनसे ग्राहकों को अवगत करायें, मेरा यही प्रयास रहता है।

जनवरी 2016 मे मैक्सिको के दावोस मे विश्व आर्थिक समुदाय| (World Economic Forum) की बैठक हुई। इस बैठक मे जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमे चौथी औद्योगिक क्रान्ति विश्व के आर्थिक मानचित्र को तहस नहस करने वाली है। विश्व आज बहुत बड़े आर्थिक परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है। नवीन प्रतिमान स्थापन (Paradigm Shift) को अनदेखा करना मूर्खता होगी विशेष रूप से तब, जब उसके चिन्ह आकार लेते दिखाई दे रहे हों। वर्ष 1900 का विश्व आज नहीं है, आज जो है आने वाले वर्षो  का विश्व उससे बहुत भिन्न होगा। अतः मिलने वाले संकेतों के आधार पर किसी भी द्रष्टि से उसका विचार उपयोगी ही होगा। यहां हम कुछ क्षेत्रों की समीक्षा करते हैं।


बीसवीं शताब्दी के अन्त से कुछ पूर्व तक स्विट्जरलैंड घड़ियोंं के मामले मे विश्व के प्रथम क्रम पर था। 1932 मे जापान के इसाक कोगा पहली बार घड़ियों मे क्वार्ज का सफल प्रयोग करने मे सफल हुये थे। यह स्विट्जरलैंड के लिये बहुत बड़े प्रतिमान स्थापन (Paradigm Shift) की आहट थी, जो उन्होने नहीं सुनी, नतीजतन स्विट्जरलैंड की घड़ियों के व्यापार को बहुत बुरा हश्र झेलना पड़ा। यदि अभी की बात करें तो वर्ष 1998 तक फोटो पेपर बनाने वाली कोडक कम्पनी दुनिया मे होने वाले फोटो पेपर की खपत का 85% बेचा करती थी। कम्पनी मे 1,70,000 कर्मचारी कार्य करते थे। क्या आपने 1998 मे यह सोचा भी था कि तीन वर्ष बाद आप कागज पर फोटो नहीं लेंगे। आज कम्पनी दीवालिया हो चुकी है। उनका व्यापार गायब हो चुका है। यह स्थितियां अचानक ही नहीं आई, 1975 मे डिजिटल कैमरे का आविष्कार हो चुका था, यह अलग बात है कि वह 10,000 पिक्सल का ही था, परन्तु मूर के सिद्धान्त के अनुरूप था। यद्यपि इसे काफी समय तक निराशा झेलनी पड़ी परन्तु कुछ समय पूर्व ही यह मुख्यधारा मे आ गया। आने वाले 10 वर्षों मे कोडक कम्पनी जैसा हाल बहुत सी कम्पनियों का होने वाला है। अभी लोग इसे समझ नहीं रहे हैं। यह सभी क्षेत्रों मे होने वाला है क्रत्रिम ज्ञान, स्वास्थ्य, कारों, शिक्षा, 3D प्रिन्टिंग, कृषि, रोजगार, स्वायत्ता आदि सभी क्षेत्र इससे प्रभावित होने वाले हैं।

आने वाले 5 - 10 वर्षों मे पारम्परिक उद्योगों को सबसे अधिक सॉफ्टवेयर प्रभावित करेगा। "ऊबर" मात्र एक सॉफ्टवेयर टूल है, वह दुनिया की सबसे बड़ी टैक्सी कम्पनी है परन्तु उसके पास कारें नहीं हैं। Airbnb विश्व की सबसे बड़ी होटल कम्पनी है परन्तु उसके पास बिल्डिंगें नहीं हैं।

क्रत्रिम ज्ञान - 

दुनिया को आदमियों से बेहतर कम्प्यूटरों ने समझा है। विश्व के सबसे बुद्धिमान ज्ञानियों, प्रोफेशनलों, विशेषज्ञों को कम्प्यूटर ने उम्मीद से 10 वर्ष पहले ही धराशायी कर दिया है। अमेरिका मे नये वकीलों को काम नहीं मिल रहा है, क्योंकि IBM Watson द्वारा आपको अच्छी से अच्छी कानूनी सलाह सेकेन्डों मे , वह भी 90% सटीक मिल जाती है। आने वाले समय मे 90% कम वकीलों की आवश्यकता रह जायेगी। वह भी सिर्फ विशेषज्ञों की।

Watson कैन्सर का पता लगाने मे नर्सों की मदद कर रहा है । फेसबुक ने एक पेटर्न के आधार पर पहचानने की तकनीक विकसित कर ली है। अतः अब वह आदमी के चेहरे पहचानने मे आदमी से अधिक सक्षम व विश्वसनीय है।  वर्ष 2030 तक कम्प्यूटर मनुष्य से अधिक बुद्धिमान बन जायेगा।

निजी कारें -

वर्ष 2018 मे पहली बार लोगों के उपयोग के लिये स्वचलित कार आयेगी। वर्ष 2020 के आसपास कार उद्योग का विघटन प्रारम्भ हो जायेगा। आप को कार खरीदने की जरूरत ही नहीं होगी। आप फोन पर कार बुलायेंगे, कार आपके सामने होगी, आपको गन्तव्य तक पंहुचा देगी। आपको उसे पार्क करने की जहमत नहीं उठानी है, आप तो बस जितने किलोमीटर चल कर आये हैं, उसका भुगतान कर दीजिये। कारों के मामले मे यह बहुत उपयोगी होगा। हमारे बच्चों को ड्राइविंग लाइसेन्स की जरूरत ही नहीं होगी, वह कभी कार खरीदने वाले ही नहीं हैं। इससे शहरों मे बदलाव दिखेगा, क्योंकि हमे 90 से 95% कम कारों की जरूरत रह जायेगी। हम कार पार्किंग वाले स्थानों पर पार्क विकसित कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त विश्व मे प्रतिवर्ष 1.2 मिलियन लोग सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं। वर्तमान मे 1 मिलियन किमी पर सड़क दुर्घटना होती है, स्वचलित कारों से यह 10 मिलियन कि मी तक हो जायेगी और हम प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान बचाने मे सक्षम होंगे।

इसके कारण अधिकतर कार कम्पनियां दीवालिया हो जायेंगी। पारम्परिक कम्पनियां नई सोच के सहारे अधिक बेहतर कार तो बना सकती हैं, परन्तु तकनालाजी कम्पनियां (टेसला, एप्पल, गूगल) क्रान्तिकारी कदम उठाकर पहियों वाले कम्प्यूटर बनाने लगेंगे। बड़ी बड़ी कार कम्पनियों के इन्जीनियर टेसला से बुरी तरह डरे हुये हैं।

बीमा कम्पनियां -

बीमा कम्पनियों के बहुत बुरे दिन आाने वाले हैं। दुर्घटनाओं के बिना बीमा 100 गुना से अधिक सस्ता हो जायेगा। कार बीमा जैसे घटक तो गायब ही हो जायेंगे।


भूमि भवन बिक्री व्यापार -

इस क्षेत्र मे भी परिवर्तन होगा। जब आप यात्रा के समय तथा घर से काम करने मे सक्षम होंगे तो आप किसी अच्छे  स्थान पर थोड़ा अधिक दूर रहने से परहेज नहीं करेंगे। 2020 तक विद्युत कारें मुख्यधारा मे आ जायेंगी। अतः शहरों मे भी कम शोर, कम प्रदूषण होगा। बिजली बहुत ही सस्ती व स्वच्छ हो जायेगी । सोलर विद्युत उत्पादन की परिपूर्णता का ग्राफ 30 वर्षों का है परन्तु उसका प्रभाव अभी से दिखने लगा है। पिछले वर्ष विश्व मे सोलर बिजली उत्पादन ईकाइयों की स्थापना पारम्परिक बिजली उत्पादन ईकाइयों से कहीं अधिक की गई । सोलर ऊर्जा के कारण दामों मे इतनी अधिक कमी आयेगी कि 2025 तक सभी कोयला कम्पनियां व्यापार से बाहर होंगी।

बिजली के सस्ते उत्पादन से ही पानी की प्रचुर मात्रा तथा उसके अलवणीकरण की प्रक्रिया जुड़ी है। वर्तमान मे अलवणीकरण प्रक्रिया मे 2 किलोवाट प्रति घंटा बिजली प्रत्येक क्यूबिक मीटर के लिये लगती है। हमारे पास पानी की कमी नहीं है, स्वच्छ पीने योग्य पानी की कमी अवश्य है। सोचिये आपको उतना पानी बिना किसी लागत के मिल जाये,  जितना आप चाहते हैं।


स्वास्थ्य - 

ट्राईकार्डर - X. का मूल्य इस वर्ष घोषित कर दिया जायेगा। कई कम्पनियां रोग पहचानने वाले उपकरण बनाने लगी हैं। स्टार ट्रैक कम्पनी के उपकरण का नाम ट्राईकार्डर है। यह हमारे फोन के साथ मिलकर काम करेगा। यह हमारे रैटीना स्कैन, रक्त नमूने तथा सांसों को लेकर, उनका विश्लेषण 54 जैवचिन्हों के सहारे करेगा, जिससे रोग की पहचान लगभग हो जायेगी । यह सस्ता तो होगा साथ ही पृथ्वी पर रहने वाले सभी को विश्वस्तरीय सर्वोत्तम   दवा लगभग मुफ्त मे प्राप्त हो जायेगी ।


3D प्रिन्टिंग -

10 वर्षों के अन्तराल मे विश्व के सबसे सस्ते 3D प्रिन्टरों के दाम 18000 डालर से 400 डालर पर आ टिके हैं। साथ ही इनकी स्पीड भी काफी बढ़ी है। सभी प्रमुख कम्पनियां 3D प्रिन्टिंग शूज बना रही हैं। अब स्पेस स्टेशनों पर भी 3D प्रिन्टरों की मदद से उतने पुर्जों की जरूरत नहीं रह जायेगी, जितनी हुआ करती थी। वर्ष के अन्त तक स्मार्टफोनों मे 3D स्कैनिंग की सुविधा आने लगेगी। आप अपने पैर का 3D फोटो भेज दीजिये और घर पर अपनी नाप का जूता मंगवाइये। चीन मे एक 6 मन्जिला भवन का पूरा 3D. चित्र लिया गया है। 2027 तक जितनी भी वस्तुओं का उत्पादन होता है, उनके 10% का 3D फोटो उपलब्ध होगा।


व्यापार के अवसर -

आप स्वयं से पूछिये भविष्य मे आप किस तरह का अवसर चाहते हैं, यदि आप को लगता है कि आप वह प्राप्त कर सकते हैं,  तो सोचिये कि आप कैसे उसे जल्दी से जल्दी पा सकते हैं। यदि आप उसे अपने फोन की मदद से नहीं प्राप्त कर सकते हैं, तो भूल जाइये। 20 वीं शताब्दी मे सफलता प्राप्ति का कोई भी विचार 21 वीं शताब्दी मे सफल नहीं होगा ।

रोजगार -

आने वाले 20 वर्षों मे 70 से 80% रोजगार समाप्त हो जायेंगे। यद्यपि बहुत से नवीन रोजगार भी उत्पन्न होंगे। परन्तु यह स्पष्ट नहीं कि इतने कम समय मे पर्याप्त रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे।

कृषि -

आने वाले समय मे खेतों मे शत प्रतिशत रोबोट काम करेंगे। तीसरी दुनिया के किसान अपने खेतों मे प्रबन्धकों की तरह काम करेंगे। नमी वाले वातावरण मे फसल उगाने की तकनीक एयरोपोनिक्स (Aeroponics) के कारण बहुत ही कम पानी लगेगा। पहली क्रत्रिम बछड़े के मांस से बनी "पेट्रीडिस" अब उपलब्ध है और यह गाय द्वारा पैदा किये बछड़े के मांस से बनी डिस से 30% सस्ती है। वर्तमान मे 30% कृषि कार्यों मे गायों  की आवश्यकता पड़ती है। कल्पना कीजिये यददि हमे उसकी जरूरत ही नहीं रहे । बहुत से अनुुसन्धान चल रहे हैं, जो बाजार मे शीघ्र ही अनेको जीवों से उपलब्ध होने वाले प्रोटीन उपलब्ध करा देंगे, जिनमे मांस से अधिक प्रोटीन होगा। यह वैकल्पिक उद्गम वाले प्रोटीन के नाम से जाने जायेंगे। क्योंकि आज भी बहुत से लोग कीड़ों को खाने से सहमत नहीं हैं।

MOODIES नामक एेप प्रचलन मे है, जो बताता है आप किस मूड मे हैं। 2020 तक इस तरह के एेप भी आ जायेंगे जो आपके चेहरे के भावों से बता देंगे, आप सच बोल रहे हैं या झूठ। आप कल्पना कीजिये टीवी पर राजनीतिक बहस चल रही है, पता चल रहा है कौन नेता झूठ बोल रहा है।

आयु -

वर्तमान मे औसत आयु 3 माह प्रतिवर्ष के आधार पर बढ रही है। 4 वर्ष पूर्व तक जीवन 79 वर्षों के आसपास होता था। अब यह 80 वर्ष हो गया है। यह अपने आप बढ़ रहा है। अनुमान है 2036 तक प्रतिवर्ष 1 वर्ष से भी अधिक आयु बढ़ने लगेगी। हम सभी एक लम्बे समय तक जीवित रहेंगे। सम्भवतः 100 से भी अधिक वर्षों तक।


शिक्षा -

आज अफ्रीका तथा एशिया मे भी सस्ते स्मार्टफोन 5 से 6 हजार रूपयों मे उपलब्ध हैं। 2020 तक 70% लोगों के पास स्मार्टफोन होगा। जिसका अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की विश्वस्तरीय शिक्षा से जुड़ा होगा। प्रत्येक बच्चा खान एकडमी का प्रयोग कर सकता है, वह सब सीख समझ सकता है, जो प्रथम विश्व के देशों के रहने वाले बच्चे सीखते समझते हैं। सामग्री के सभी भाषाओं मे अनुवाद के कारण यह सभी को सहज उपलब्ध रहेगी।