Thursday 4 June 2015

कुछ खटकता है स्वच्छ भारत अभियान में

स्वच्छ भारत अभियान आजादी के बाद देश का सबसे उपयुक्त व महत्वपूर्ण अभियान है।पिछले अनेक वर्षों से देश के विभिन्न भागों मे जाने का अवसर मिला। पूर्व हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण रेल बस से सफर करते समय शहर की सीमा का परिचय ही कचरे के ढेरों से होता है। आसपास यदि कोई नदी या नाला हो तो कहना ही क्या, पूरे शहर का कचरा एकत्र करने, गन्दगी बहाने का यह आर्दश स्थान होता है।

इससे पहले देश मे स्वच्छता या कचरे की समस्या पर ध्यान नही दिया गया, कहना गलत होगा। गाहे बगाहे स्थानीय स्तर पर अन्यमनस्क भाव से स्वच्छता अभियान छेड़े जाते रहे हैं। उनके परिणाम भी वैसे ही रहे जैसी गम्भीरता से उन्हे छेड़ा गया। सभी जानते समझते हैं स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिये सफाई से, सफाई मे रहना जरूरी है, परन्तु यह व्यवस्था घर की चारदीवारी समाप्त होते ही दम तोड़ देती है। घर की चारदीवार के बाहर जाते ही हमारी फैलाई गन्दगी सामाजिक और सरकारी समस्या के रूप मे देखी जाने लगती है।

इन सब बातों के चलते केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड के वर्ष 2009 के अध्यन के अनुसार देश मे लगभग 47मिलियन टन कचरा निकलता है अर्थात 1.3 लाख टन प्रतिदिन ।TERI के 2011 के आकलन के अनुसार इतना कचरा 2,20,000 फुटबाल मैदानों पर 9 मीटर मोटी परत जमा कर सकता है। यह तो सिर्फ ठोस कचरे की बात है। मात्र 498 प्रथम श्रेणी शहरों के सीवर 38 बिलियन लीटर Sewage प्रतिदिन उगलते हैं। जबकि देश मे सिर्फ 12 बिलियन लीटर Sewage को ही परिष्कृत करने की क्षमता है, शेष बचे 27 बिलियन लीटर के देश के नदी नालों का ही सहारा है। आप समझ लीजिये गंगा और दूसरी नदियों के शुद्धीकरण की हकीकत और देश मे पिछले 67 वर्षों से हुये प्रगति कार्यों के विषय में। इस महत्वपूर्ण विषय को यदि आज गम्भीरता से न लिया गया तो बडीं समस्या बनने में इसे समय नहीं लगने वाला।

                                                                      बड़ी रूकावट
सार्वजनिक स्थानो की सफाई कर देश को स्वच्छ करने का संकल्प लेना एक बात है, रोजमर्रा की जिन्दगी मे इसे उतारना दूसरी। जब हम किसी भी बात को अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी से जोड़ना चाहते हैं, तो अन्य अनेक व्यवहारिक कठिनाईयों से दो चार होना पड़ता है। यह कठिनाईयां लगातार हमारे संकल्प को कमजोर करने के साथ साथ व्यवहारिक पक्ष को निरूत्साहित करती हैं। अतः इस व्यवहारिक पक्ष की अड़चनो को दूर करना, इन अभियानों की प्राथमिकतायें होनी चाहिये।

घरों मे पैदा कचरे की सफाई से अधिक जरूरत इस बात की है कि यह कचरा घर से बाहर निकाले जाने पर, न तो सड़े, न फैलकर चारो तरफ गन्दगी फैलाये। सफाई अभियान मे कोई व्यक्तिगत रूप से जुड़कर सार्वजनिक स्थानो की सफाई करे भी तो अन्त मे उसके सामने एकत्र कचरे के निस्तारण की समस्या होती है। जिसे अन्ततः मजबूरी मे एक स्थान पर एकत्र कर छोड़ना पड़ता है। पुनः हवा व जानवरों द्वारा दूर तक फैलाये जाने के लिये। अतः कचरे के निस्तारण की व्यवस्था किये बिना सिर्फ सफाई समस्या का पूर्ण निराकरण नहीं ।

                                                                                   कचरा सहेजना
कचरा सहेजने की व्यवस्था किये बिना स्वच्छ भारत अभियान की गति नहीं। कचरा पैदा करने वाले सभी स्थानों पर ही उसे सहेजने की व्यवस्था आवश्यक है। कचरा पैदा होता है घर मे व व्यावसायिक स्थानों मे, इन्हे ही मुख्यरूप से कचरा सहेजने की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। वह भी कचरे की किस्म तथा प्रकार के आधार पर, कचरे को मोटे तौर पर दो भागों मे बांटा जा सकता है। १. Bio Degradable कचरा. २. Non Degradable कचरा। यह कचरा सूखा या गीला कैसा भी हो सकता है। बड़ी समस्या यह है कि दोनो प्रकार का कचरा मिला हुआ होता है। अतः घरों तथा व्यवसायिक स्थानों पर सफाई के बाद एकत्र दोनो प्रकार का कचरा छांट कर अलग अलग पॉलीथीन के बैगों मे भरा जाये। गीला कचरा बैगों मे न भरा जाये, पहले सुखाया जाये । कचरे के पॉलीथीन बैगों का मुंह टेप से अच्छी तरह बन्द करके घर/व्यवसायिक स्थानों से बाहर फेंका जाये। इस प्रकार फेंका कचरा न तो सार्वजनिक स्थानों को गन्दा करेगा न ही बदबू फैलायेगा और तो और इस प्रकार का बन्द कचरा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने मे भी आसानी होगी। Bio Degradable कचरे का सीधा उपयोग ईंधन, कृषि व कच्चेमाल के रूप मे किया जा सकता है। Non Degradable कचरे को रिसायकिल कर पुनः प्रयोग मे लाया जा सकता है, इसमे अधिकतर पॉलीथीन व प्लास्टिक ही होता है।नगर पालिकायें इसका उपयोग कचरा एकत्र करने वाले पॉलीथीन बैग बनवाकर नागरिकों को मुफ्त या नाममात्र के शुल्क पर बँटवाने मे कर सकती हैं। प्रारम्भ मे यह बैग प्रायोजित भी करवाये जा सकते हैं, लोगों की आदत लगवाने के लिये।

नागरिकों मे जागरूकता लाने की आवश्यकता होगी, स्वच्छ भारत अभियान के लिये जो जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, उसमे बस इतनी बात जोड़ने की आवश्यकता है कि कचरा सुखाकर, छांटकर, पॉलीथीन की थैली मे बन्द करके ही बाहर फेंका जाये। लोगों को स्वयं इसके लाभ दिखाई देंगे और वह उसे अपनाने लगेंगे।

                                                                         कचरा प्रबन्धन
कचरा प्रबन्धन अपने मे एक विस्तृत विषय है। कचरेे के उत्पन्न होने वाली स्थितियों से लेकर, उसे एकत्र करने, छांटने, परिवहन तथा उपयोग मे लाने तक इसका क्षेत्र है। 47 मिलियन टन कचरा एक बड़ी मात्रा है, जो अनेको शहरों के लिये समस्या बना हुआ है। विश्व मे इस क्षेत्र मे अनेको प्रयोग हुये हैं, जिनमे कृषि हेतु खाद, ईंधन, ऊर्जा के साथ ही अनेको उत्पादनों हेतु कच्चा माल प्राप्त किया जाता है। सरकार द्वारा एक बहुत ही उपयोगी कदम उठाया गया है। सिर्फ गन्दगी के कारण होने वाली बीमारियों के ईलाज पर ही देश का 8 लाख करोड़ रूपया प्रतिवर्ष खर्च हो जाता है। कृषि मे खाद के रूप में, ईंधन के रूप में , बिजली के रूप में, साथ ही कच्चे माल के रूप मे उपयोगिता अलग। निश्चित रूप से स्वच्छ भारत अभियान की योजना देश को सुन्दर बनाने के साथ अनेको रोजगारों को पैदा करने वाली है।

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